Mahka Rajasthan Vimochan By CM Vasundhra Raje

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Rajasthan Chief Minister Vasundhra Raje Vimochan First Daily Edition of Dainik Mahka Rajasthan Chief Editor ABDUL SATTAR SILAWAT

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Dainik MAHKA RAJASTHAN

Tuesday, February 10, 2015

दिल्ली चुनाव परिणामों से राजस्थान में राजे राज को अभयदान


ए.एस. सिलावट
दिल्ली के चुनाव परिणामों से राजस्थान में भाजपा की वसुन्धरा राजे सरकार के समर्थकों को खुशीयां मनानी चाहिये कि अगले दो साल तक राजस्थान में वसुन्धरा राजे ही मुख्यमंत्री रहेंगी। नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के पास लाईन में खड़े राजस्थान में सम्भावित मुख्यमंत्री जी ने भी एक बार फिर 'किस्मत' वाली महारानी के सामने उत्तर प्रदेश चुनावों में कड़ी मेहनत करने का मन बना चुके हैं और बनारस के गंगा घाट पर ही अपनी काबिलियत के झंडे गाडऩे की मजबूरी को स्वीकार कर लिया है।
दिल्ली चुनावों के परिणामों से राजस्थान की जनता को भी खुशी होनी चाहिये कि अब राजस्थान का विकास गति पकड़ेगा। अब तक वसुन्धरा राजे को मुख्यमंत्री पद से हटाने का इन्तजार कर रहे ब्येरोके्रट्स भी अपने क्लब पार्टीयों में मोदी जी के 'मूडÓ पर चर्चाएं करने के बजाए ऑफिस में बैठकर फाइलें निपटाने और विकास योजनाओं को लागू करवाने में सक्रिय दिखाई देंगे।
नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री पद की शपथ के साथ ही राजस्थान में मुख्यमंत्री बदलने की अफवाहेंं इतनी तेज हो गई थीं कि सम्भावित मुख्यमंत्री के समर्थकों ने शपथ समारोह के स्थान, तारीख और नये मंत्रीयों की सूचि भी बनानी शुरु कर दी थी और इस अफवाह को झालावाड़ सांसद को मोदी मंत्रिमण्डल में शामिल नहीं करने की घटना को वसुन्धरा राजे के विरोध में मोदी का पहला संकेत बताकर राजस्थान सरकार के विकास की तेज गति को रोक दिया या यूं कहिए कि गति को धीमा कर दिया, लेकिन झालावाड़ के सांसद दुष्यंतसिंह ने पंचायत चुनावों में भाजपा को एक तरफा जीत दिलवाकर नरेन्द्र मोदी सरकार में शामिल राजस्थान के मंत्रीयों की काबिलियत को चुनौती देते हुए संगठन के प्रति अपनी योग्यता एवं बदले माहौल में भी भाजपा की जड़ों को जनता में जमाये रखने का हौसला भी दिखाया है।
राजस्थान के भावी मुख्यमंत्री की दौड़ वाले नेताजी के लिए पिछले महिने एक 'शगूफा' चला था कि बनारस घाट के एक अघौड़ी बाबा ने बताया कि मुख्यमंत्री बनने के लिए एक अनुष्ठान जरुरी है और वह भी राजस्थान की धरती पर होना चाहिए इसलिए नेताजी ने जयपुर के स्थान पर अपने गृह जिले पाली में फालना के पास एक फार्म हाउस पर जन्मदिन के नाम पर मुख्यमंत्री बनने में बाधक शक्तियों का नाश करने के लिए अनुष्ठान करवाया था और दिल्ली चुनाव के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने की तारीखों में सिर्फ बजट सत्र की ही अड़चन आ रही थी, लेकिन राजस्थान के विकास में दिन रात सक्रिय मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के कार्यकाल को फिलहाल यूपी चुनाव तक बढ़ा दिया और बदलते जनमानस में यदि यूपी चुनाव में भी दिल्ली जैसे परिणाम भाजपा को मिले तब राजस्थान में वसुन्धरा राजे को 2019 तक मुख्यमंत्री पद पर कायम रहने का 'अभयदान' मोदी-शाह द्वारा दे दिया जायेगा। ऐसी अफवाहें भी राजनीति में सपनों को 'तोड़ती-मरोड़ती' रहती है। नये मुख्मयंत्री प्रत्याशी तो गंगा घाट पर दिन काट लेंगे, लेकिन राजस्थान में उनके समर्थकों की मजबूरी देखी नहीं जाती है कि हर बार 'मन मसौस' कर 'किस्मत' वाली महारानी के ही चरण नहीं चाहते हुए भी स्पर्श करने पड़ रहे हैं। हमें उन सभी लोगों से सहानुभूति रखनी चाहिये जिनके सपने आप पार्टी नेता केजरीवाल ने चूर चूर कर दिये हैं।
नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली चुनाव की सभा में स्वयं को किस्मत वाला बताया, लेकिन राजस्थान भाजपा के नेता इस बात को राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे से जोड़कर क्यों नहीं देखते कि मोदी जी तो अब बने हैं किस्मत वाले, लेकिन महारानी साहिबा तो पिछले मुख्यमंत्री काल (2003-2008) में भी किस्मत वाली ही थी। उन दिनों हर छ: माह बाद वसुन्धरा हटाओ अभियान चला करता था और उस अभियान की कमान भाजपा के संस्थापक नेताओं के हाथों में होती थी, लेकिन पाँच साल तक 'बदकिस्मती' ने उनका साथ नहीं छोड़ा और ऐसे ही प्रयास पिछले नौ माह से वसुन्धरा हटाओ प्रयास लगातार किये जा रहे हैं और दिल्ली चुनावों के बाद तो लगभग शपथ ग्रहण समारोह तय हो गया था, लेकिन बदकिस्मती साथ ही नहीं छोड़ती है। पिछले पाँच साल में वसुन्धरा राजे विरोधियों में वरिष्ठ-बुजुर्ग नेताओं का एक दल था, लेकिन इस बार भाजपा के छत्रपति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नजदीकी-चहेते कहे जाने वाले एकमात्र नेता ही हैं, जिन्होनें नरेन्द्र मोदी को मुख्यमंत्री बनाने से लेकर देश के सर्वोच्च राजनैतिक पद प्रधानमंत्री तक पहुँचाने में स्वयं की भूमिका को सहयोगी के रूप में ही नहीं बल्कि सर्वोच्च के रूप में बताया है। शायद इस बात से स्वयं मोदी अनभिज्ञ होंगे, लेकिन राजस्थान में नेताजी की पहचान मोदी जी के चाणक्य के रूप में प्रचारित की गई है।
दिल्ली चुनावों में भाजपा की करारी हार का देश की राजनीति पर क्या प्रभाव पडेगा इस पर समीक्षा-विश्लेषण और चर्चाएं अमित शाह के बेटे की शादी के बाद करेंगे, लेकिन राजस्थान के पंचायती चुनावों के बाद पढ़े-लिखे, उच्च शिक्षा पाये सरपंचों, प्रधानों एवं प्रमुखों की टीम को ग्रामीण विकास में प्रोत्साहन देने का सपना लिये मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे का नेतृत्व एवं सहयोग अगले चार साल निरन्तर मिलता रहेगा। राजस्थान के विकास को समर्पित एवं अपनी व्यक्तिगत जीवन की आहुति देकर राजस्थान के विकास को देश में सर्वाेच्च स्थान पर ले जाने के प्रयासरत मुख्मयंत्री वसुन्धरा राजे दूसरा सत्र भी पूरा करेगी। इस मिशन को पूरा करने में दिल्ली चुनावों में भाजपा की हार का राजस्थान के भाजपाइयों को जरुर दु:ख होगा, लेकिन उनकी अपनी मुख्मयंत्री का नेतृत्व उन्हें अगले चार साल तक मिलता रहेगा। इस बात की खुशी दिल्ली के 'गम' को हल्का करती रहेगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

Thursday, February 5, 2015

बजट: गरीबों के विकास के लिए पुंजीपतियों के सुझाव


बजट: गरीबों के विकास के लिए पुंजीपतियों के सुझाव

आज़ादी के 68 साल बाद भी जिस लोकतंत्र में हम गरीबी, भूखमरी, बेरोज़गारी और पिछड़ों के विकास की बात करते हैं उस देश-प्रदेश के 98 प्रतिशत ऐसे लोगों के विकास की योजनाओं के लिए बनने वाले सालाना सरकारी बजट की रुपरेखा चैम्बर ऑफ कॉमर्स, फिक्की, एक्सपोर्टर्स, बिल्डर्स, भू-माफिया और ऐसे पूंजीपतियों की सलाह-मशविरा से बनाया जाता है जिनका जीवन डॉक्टरों की स्वस्थ और जि़न्दा रहने के सलाह से जयपुर के सैन्ट्रल पार्क की मॉर्निंग वॉक से शुरु होता और ऑन लाईन शेयर मार्केट के बंद होने तक सिगरेट के धुंए और कॉफी की चुस्कीयों के साथ लाखों की खरीद फरोख्त के साथ शाम ढ़लती है।
जिन लोगों ने कभी जैसलमेर के खेतों में 50 डिग्री सैल्सियस की गर्मी में काम करते हुए किसान का पसीना उतरते नहीं देखा हो, जिन लोगों ने रेतीले धोरों की धधकती रेत में नई-नवेली दुल्हन के पाँवों की मेहन्दी को तीन-तीन किलोमीटर तक सुहागरात के दूसरे दिन से सर पर मटकी रखकर पीने का पानी लाने का दर्द नहीं देखा हो। अकाल, अतिवृष्टी और ओलावृष्टी के बाद फसल की उम्मीद में जवान बेटी की शादी के सपने चूर-चूर होकर कोलोनीयों और अतिक्रमण हटाने के अन्जाने डर से बीस-बीस साल तक एक कोठरी में परिवार को लेकर जीवन बीता रहे लोगों के विकास, आर्थिक उन्नति की योजनाओं के बजट को बनाने में सक्रिय-महत्वपूर्ण और गम्भीर सुझाव ऐसे ही लोग दे रहे हैं, जिन्हें इन दिनों प्रदेश भर में चल रहे पंचायत चुनावों की प्रक्रिया और पंच से सरपंच, प्रधान, प्रमुख तक की कड़ी से कड़ी कैसे चुनी जाती है उससे भी बेखबर लोग कभी चैम्बर भवन, कभी पाँच सितारा होटल और शासन सचिवालय में बैठकर राजस्थान के गरीबों, किसानों और बेरोज़गारों के विकास की योजनाओं के सालाना बजट 2015-16 की तैयारी में लगे हैं।
राजस्थान सरकार के सालाना बजट पर मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाडिया से लेकर अशोक गहलोत और वसुन्धरा राजे की सरकार तक अफसरशाही ने ऐसी परम्परा बना डाली है कि सालाना बजट के सुझावों में पूंजीपति स्वयं या पूंजीपतियों के संगठन सुझावों के नाम पर एक्सपोर्ट में अनुदान, खनिज सम्पदा पर रॉयल्टी छूट, सेल्स टेक्स से मुक्ति, प्रदूषण फैलाने वाली खदानों और अन्य फैक्ट्रीयों को प्रदूषण मण्डल के सख्त नियमों से मुक्ति जैसे सुझावों के साथ प्रदेश के आर्थिक औद्योगिक विकास का सपना दिखाते हैं। पूंजीपतियों के 'स्व-विकास' के सुझावों पर बैठकों में शामिल अधिकारी प्रदेश के विकास का 'ठप्पा' लगाकर हमारे राजनेताओं को भ्रमित कर ग्रामीण विकास, बेरोजगारों को लाखों रोजगार, किसानों, मजदूरों के हितों का बजट बताकर तालियां बजवा देते हैं।
सालाना बजट का फायदा अफसरों की मेहरबानी से कैसे गरीब को गरीब रखता है और अमीर को सातवें आसमान पर चढ़ा देता है इसका एक उदाहरण मार्बल उद्योग है। मार्बल खदानों पर रॉयल्टी में छूट देकर सरकारी खजाने को तो घाटा दिया गया, लेकिन मार्बल खदानों और उद्योगों में काम कर रहा मजदूर पिछले बीस साल से आज भी 'दिहाड़ी मजदूर' ही है। दिन भर काम करके परिवार का पेट पालना है और दूसरी तरफ कल तक एक गैंग शॉ मशीन पर दस ब्लॉक काटकर महिना भर मार्बल स्लेब बेचते थे उन लोगों को सरकारी सहयोग, रॉयल्टी छूट, मशीनों पर टेक्स माफी से विश्वस्तर पर नाम हो गये। एक गैंग शॉ से आगे बढ़कर आधे मार्केट, बीसियों खदानों के मालिक बन बैठे और सरकारी बजट में जिस मजदूर के विकास के नाम पर अनुदान, रॉयल्टी माफी की घोषणाएं की गई थी वह मजदूरी ही कर रहा है। इसका विकास इनता जरुर हुआ है कि पहले जवान मजदूर था, लेकिन इन दिनों बेटे को साथ लेकर सेठजी के यहां मजदूरी करता है।
हमें मजदूरी करने या हमारी गरीबी से तरक्की की राह नहीं मिलने का दु:ख नहीं है। हम तो अपने हालात पर खुश है कि 'किस्मत वालों' के राज में हमारी किस्मत में शायद मजदूर बनना ही लिखा है, लेकिन दु:ख सिर्फ इस बात का है कि हमारी सरकार के सालाना बजट में नरेगा की मजदूरी कितनी दी जाये, न्यूनतम मजदूरी की सीमा भी उन लोगों के सुझावों पर तय की जाती है जिन पर आयकर विभाग के छापे पडऩे पर करोड़ों रूपये की अघोषित और आयकर चोरी की रकम पकड़ी जाती है। दु:ख इस बात का भी है कि हमारी किस्मत की सरकारी लकिरों की कलम पर उनकी अंगुलियों के निशान है जो पाँच मंजिला भवन बनाने की जेडीए से इजाजत लेकर सात मंजिला अवैध भवन बनाकर, पार्किंग के स्थान पर फ्लैट बनाकर बेच देते हैं। सरकारी भूमि पर अवैध कोलोनियां काटते हैं। हमारी किस्मत के फैसलों के सालाना बजट में एक्सपोर्ट के अनुदान की चोरियां करने वाले, हवाले में लिप्त होने के आरोपी, क्रिकेट पर सटोरियों की टीम के साथी भी सुझाव देते हैं।
सरकारी बजट बनाने में दिनरात सक्रिय उच्च अधिकारियों को शायद मालुम नहीं है कि वसुन्धरा राजे की टीम में खनिज-खदानों के विकास में किशनगढ़ मार्बल के सेठों के अलावा जैसलमेर के लाखा स्टोन उद्योग, जोधपुर के छित्तर स्टोन, राजसमन्द, आबू, भीम, धौलपुर के छोटे-छोटे खान मालिक भी प्रदेश के विकास में शामिल हैं कभी उनसे भी सुझाव मांग लेते। टेक्सटाईल उद्योग में जयपुर के चंद एक्सपोर्टरों के भरोसे जोधपुर-बालोतरा-पाली-भीलवाड़ा का टेक्सटाईल उद्योग नहीं चल रहा है, उनकी समस्याओं के सुझाव के लिए भी जोधपुर के उद्यमियों से सुझाव मांग लेते। आदिवासियों की सेवा में लगे वनवासी कल्याण परिषद से आदिवासियों के विकास की बात कर लेते। कोटा डोरिया-सीकर की बंधेज-रामगंज मंडी-मॉडक की खदानें, अलवर-भिवाड़ी-निमराना के छोटे उद्योगों की समस्याएं। बहुत कुछ है जयपुर की चार दिवारी के बाहर राजस्थान के विकास के सुझाव देने वालों की लम्बी कतार है। फिर आप राजस्थान के तैतीस जिलों के विकास का बजट बना रहे हैं। जयपुर की जेडीए का नहीं।
राजस्थान की जनता मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे से उम्मीद करती है कि इस बार का बजट परम्पराओं से अलग हटकर, सरकारी अधिकारियों की काना फुसी और चन्द एयरकंडिशन चैम्बर के उद्यमीयों से आगे बढ़कर प्रदेश के सभी क्षेत्रों, सभी उद्योगों, व्यवसायियों के सुझावों को भाजपा संगठन के माध्यम से, आपके विधायकों, मंत्रियों के द्वारा। एक बजट सुझाव अभियान चलाकर अफसरशाही से अलग लोकतंत्र के प्रहरियों का बजट 2015-16 बनाया जाये जिसमें गरीब, किसान, मजदूर के विकास की योजनाएं जनता को सीधे-सीधे दिखाई दे और राजस्थान की जनता को वसुन्धरा राजे सरकार का बदलाव नज़र आये। ऐसा बजट राजस्थान विधानसभा के पटल पर रखा जाये जिसका अनुसरण अन्य प्रदेश भी करे।