प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर ‘लुका-छिपी’ खेल रहे हैं...
अब्दुल सत्तार सिलावट
पाली की रंगाई छपाई फैक्ट्रीयों के प्रदूषण का स्थाई हल राजनेता, प्रदूषण रोकने वाले सीईटीपी और सरकार के प्रदूषण विभाग तथा उनके मंत्री भी अच्छी तरह से जानते हैं। लेकिन पिछले तीन दशक से कांग्रेस भाजपा की सरकारों के मंत्री और अधिकारी जानबूझकर प्रदूषण के स्थाई समाधान के ‘फार्मूले’ को टाल-मटोल या नजर अंदाज कर अपना ‘लक्ष्य’ पूरा करते रहे हैं। फैक्ट्रीयों के उज्जवल भविष्य को बनाने में लगे नेता ‘एनजीटी’(राष्ट्रीय हरित अधिकरण) को भ्रमित करने में ‘फेल’ रहे हैं और हाल की पेशी पर फैक्ट्रीयां ‘बंद-चालू’ के बयानों में स्वयं ही उलझकर दीपावली की चमक को फीकी कर बैठे हैं।
जयपुर। बचपन में छोटे-भाई बहिनों के साथ घर के दो-तीन कमरों में जब ‘लुका-छिपी’ का खेल खेलते थे तब भोले-भाले छोटे भाई बहन जो अच्छी तरह छुप नहीं पाते थे, उन्हें देखकर भी अन्जान बनकर दूसरे कमरों में ढूंढ़ते थे और बाद में उन्हें नहीं पकड़ पाने में हारकर उन्हें जीत की खुशी देते थे।
बस ऐसा ही ‘लुका-छिपी’ का खेल पश्चिमी राजस्थान की टेक्सटाईल नगरी पाली में पिछले सवा महिने से बंद पड़ी फैक्ट्रीयों को चालू करवाने के नाम पर राजनेता, उद्योग प्रतिनिधि, प्रदूषण नियंत्रण मंडल और राजस्थान सरकार के पर्यावरण मंत्री सब कुछ जानते हुए भी अन्जान बनकर खेल रहे हैं।
पाली के चार औद्योगिक क्षेत्रों में छः सौ फैक्ट्रीयां हैं तथा इनसे निकलने वाले प्रदूषित पानी को साफ करने के लिए छः ट्रीटमेंट प्लांट बने हुए हैं। कुल छः सौ फैक्ट्रीयों में से साढ़े पांच सौ फैक्ट्रीयों का प्रदूषित पानी सिर्फ दो ट्रीटमेंट प्लांट साफ कर सकते हैं जबकि शेष बची पचास से साठ फैक्ट्रीयां जो अपने आप में पावर प्रोसेस मिल के बराबर हैं, उनसे निकलने वाले प्रदूषित पानी को अभी चल रहे छः ट्रीटमेंट प्लांटों के साथ छः और नये ट्रीटमेंट प्लांट बना दिये जायें तब भी इन मिलों से बाढ़ की तरह निकलने वाले पानी को बिना ट्रीटमेंट के बांडी नदी में मजबूरन डालना होगा जैसा अब तक होता रहा है।
पाली की 90 प्रतिशत हैण्ड प्रोसेस फैक्ट्रीयों की ‘आहुति’ इन 50-60 बड़े पावर प्रोसेस मिलों को चलाने की जिद में पिछले सवा महिने से बंद रखकर दी जा रही है। इस बात को पाली के राजनेता, प्रदूषण नियंत्रण मंडल के पाली से जयपुर तक बैठे उच्च अधिकारी एवं जिला प्रशासन खूब अच्छी तरह से जानता है। लेकिन इन 50-60 बड़े पावर प्रोसेस मिलों का सीईटीपी से लेकर भाजपा सरकार के नेताओं और प्रदूषण मंडल के चेयरमैन और पर्यावरण मंत्री तक इतना प्रभाव, इतनी अच्छी और मजबूत पकड़ है कि जब तक इनके इच्छानुसार और इनके हित का निर्णय नहीं होगा तब तक ये पाली की फैक्ट्रीयों की चिमनियों से धुंआ नहीं निकलने देंगे।
कौन हैं ‘बड़े’
बड़े पावर प्रोसेस मिलों के मालिक पिछले तीस साल में सीईटीपी के बड़े पदों पर रहे उद्यमी हैं। राजनीति में कांगे्रस-भाजपा में नगर परिषद चेयरमैन, शहर-ब्लॉक अध्यक्ष पदों पर रह चुके नेता और मौजूदा भाजपा सरकार में जयपुर, दिल्ली में बैठे नेताओं के ‘प्रियजन’ भी बड़ों की सूचि में शामिल हैं। पाली के उद्योगों को जिंदा रखना है तो सरकार सख्ती के साथ पावर प्रोसेस मिलों को तत्काल बंद करे।
खेल केएलडी का
सीईटीपी के पदाधिकारियों के पास एक ताकत केएलडी बांटने का ‘वीटो’ पावर है जिसमें दो हजार वर्ग मीटर की एक फैक्ट्री के पास मात्र 48 केएलडी प्रदूषित पानी ट्रीटमेंट प्लांट तक भेजने का अधिकार है। जबकि दो हजार वर्ग मीटर वाली ही कई फैक्ट्रीयों को सीईटीपी द्वारा तीन सौ केएलडी तक आवंटित किया गया है और नियमों को ‘पर्स’ में रखकर केएलडी लुटाने का खेल किया गया है। केएलडी लूटने के आरोप भी सीईटीपी के बड़े पदाधिकारियों पर अधिक लग रहे हैं।
सबसे शर्मनाक
सीईटीपी ने केएलडी लुटाने के साथ अपने चहेतों और व्यावसायिक रूप से लाभ देने वालों में जिन उद्योगों के पास मात्र 15 और 17 केएलडी आवंटित है उनकी फैक्ट्रीयों से 200 से 300 केएलडी प्रदूषित पानी ट्रीटमेंट प्लांट में भेजने का अधिकार भी है। सरकार को इन फैक्ट्रीयों का सर्वे कर जिन लोगों ने बिना केएलडी के बड़े पावर प्रोसेस की मशीनें लगाई हैं उन्हें बेनकाब कर केएलडी तत्काल रद्द कर पूरी पाली के लिए केएलडी आवंटन का ‘पुनायता’ फार्मूला लागू किया जाये।
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