Mahka Rajasthan Vimochan By CM Vasundhra Raje

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Rajasthan Chief Minister Vasundhra Raje Vimochan First Daily Edition of Dainik Mahka Rajasthan Chief Editor ABDUL SATTAR SILAWAT

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Dainik MAHKA RAJASTHAN

Sunday, May 3, 2015

जहाँ बेदर्द हो हाकिम...


'जन सुनवाई : मंत्री दरबार : जनता दरबार

अब्दुल सत्तार सिलावट
जन सुनवाई। मंत्रियों के बंगलों पर। भाजपा प्रदेश कार्यालय में 'मंत्री दरबार' लगेंगे। मुख्यमंत्री निवास पर तो बारहो महिनों जन सुनवाई चलती है। कांग्रेस के अशोक गहलोत के कार्यकाल में भी प्रदेश भर से रात भर जागकर, सैकड़ों रूपये किराया लगाकर और घर से चार रोटी कपड़े में बांधकर जनसुनवाई में लोग आते थे। मुख्यमंत्री गहलोत जनता दरबार में उनके हाथों से प्रार्थना पत्र लेकर पीछे खड़े स्टाफ को देते थे और गांव से आया गरीब संतुष्ट होकर चला जाता था कि अब मेरा काम हो गया... बिल्कुल वैसा ही दरबार, जन सुनवाई, गांवों से आने वालों की भीड़ मौजूदा मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के दरबार में भी लगती है। मुख्यमंत्री के सामने होते हैं गांवों से आये फरियादी, हाथों में दो-चार पेज पर हाथ से या टाईप की हुई 'दर्द भरी दास्तान' और मुख्यमंत्री उनके हाथों से लेकर पीछे खड़े स्टाफ को दे देती है। गरीब संतुष्ट, गांव में जाकर कार्यवाही का इन्तजार...।
वसुन्धरा जी, अशोक गहलोत ने भी जनता दरबार तो लगाये, लेकिन जनता की फरियाद, दु:ख दर्द की शिकायतों पर कार्यवाही नहीं होती थी इसलिए राजस्थान की जनता ने उन्हें .... जहाँ बेदर्द हो हाकिम, वहाँ फरियाद क्या करना .... और सत्ता से बेदखल कर दिया। आपकी भाजपा सरकार भी पिछले सवा साल में अशोक गहलोत के 'पद चिन्हों' पर या उनकी 'वर्क स्टाइल' का अनुसरण कर रही है। जनता की फरियाद आप, आपके मंत्री और पार्टी पदाधिकारी ले लेते हैं, लेकिन उन पर कार्यवाही नहीं होती है। ऐसी बातें आम जनता के साथ आपकी पार्टी भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता और जिन्हें मंत्री नहीं बनाये वे विधायक तो खुले आम जन सुनवाई को 'नाटक' कहकर मजाक उड़ाते हैं।
महारानी साहिबा, आप कुशल प्रशासक हैं, आपकी 'रगों' में शासक का खून दौड़ रहा है आपके चेहरे के तेजस्व से पिछले शासन में अधिकारियों की दिल की धड़कने बढ़ जाती थी, लेकिन इस बार उन्हीं अधिकारियों ने आपको चारों ओर से घेर कर इतना विश्वास में ले लिया है कि आप अपने शुभचिन्तकों, विश्वसनीय राजनेताओं और अपने पार्टी पदाधिकारियों के साथ आम जनता की दु:ख, पीड़ा और दर्द की चीख से बेखबर और दूर होती जा रही हैं। आप राजस्थान के विकास में दिन-रात दौड़ रही हैं, लेकिन इस दौड़ में आपके 'अपने' पीछे छूट रहे हैं और खुदगर्ज लोगों की भीड़ आपको चारों ओर से घेर कर आपको जनता से ही दूर कर रही है।
मुख्यमंत्री जी, आप जनता दरबार लगवायें, जन सुनवाई भी करवायें, पार्टी मुख्यालय में मंत्रियों को रोजाना बैठा दीजिये। साथ ही आप हर सप्ताह मंत्रिमण्डल की बैठक भी जरूर लेवें, लेकिन इन सब से पहले पिछले सवा साल में जनता द्वारा आपको राजस्थान के दौरों में दी गई फरियादें, अपने दुखों की दास्तानों के 'चि_ों' और आपके आवास पर आने वालों की फरियादों पर कितने लोगों को राहत मिली है। कितनी शिकायतों पर दोषी कर्मचारियों, अधिकारियों को सजा मिली है। फरियादी को राहत मिलने के बाद आपके पार्टी पदाधिकारियों ने अअसकी सुध ली है या नहीं। एक बार आप नई सरकार गठन के बाद वाले सवा साल में जन सुनवाई पर हुई कार्यवाही की समीक्षा करवाकर देख लेवें आपको 'सच्चाई' का पता चल जायेगा। राजस्थान में सिर्फ आपकी सरकार ही नहीं पिछली कांग्रेस सरकार में भी जनसुनवाई मात्र औपचारिकता बनकर रह गई थी।
वसुन्धरा जी, आपकी पहली सरकार में आप जनता के दिलों में कुशल प्रशासक के रूप में छा गई थीं और यही कारण था कि सचिवालय से लेकर पूरे जयपुर और राजस्थान में बड़े शहरों में सफाई, बिजली, पेयजल, उद्यानों में ताजा फूल भी खिलते थे, लेकिन इस बार की सरकार के पहले छ: माह के बाद से ही मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर कमल कुण्ड से लेकर स्टेच्यू सर्कल, जनपथ और मुख्य चौराहों पर ताजा फूल तो दूर की बात तीन-तीन दिन तक टूटे पत्ते भी नहीं हटाये जा रहे हैं। जनता में आपकी छवि अधिकारियों द्वारा चलाई गई पिछली कांग्रेस सरकार जैसी बनती जा रही है।
मुख्यमंत्री जी, आप पिछले तीन माह से रिसर्जेंट राजस्थान को ऐतिहासिक एवं विश्व स्तरीय बनाने में लगी हैं और यह बात सत्य है कि आप जिस 'विजन' से यह आयोजन करने जा रही हैं उससे राजस्थान देश ही नहीं विश्व स्तर पर एक नई पहचान बना डालेगा। राजस्थान में सिर्फ औद्योगिक विकास ही नहीं बल्कि इसके साथ कृषि, शैक्षणिक, चिकित्सा क्षेत्रों में भी विकास होगा और राजस्थान की बेरोजगारी खत्म हो जायेगी।
मुख्यमंत्री जी, आपके साथ प्रदेश को चलाने वाले सभी प्रमुख एवं उच्च अधिकारी रिसर्जेंट राजस्थान की तैयारियों में व्यस्त होने के कारण बाकी अधिकारी भी रिसर्जेंट राजस्थान की तैयारियों की चर्चाओं में लगे रहते हैं और पूरे राजस्थान की सरकारी कार्यों की स्पीड को ब्रेक लग चुका है जो सम्भवत: रिसर्जेंट राजस्थान समारोह की समाप्ती के बाद ही गति पकड़ पायेगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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