Mahka Rajasthan Vimochan By CM Vasundhra Raje

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Rajasthan Chief Minister Vasundhra Raje Vimochan First Daily Edition of Dainik Mahka Rajasthan Chief Editor ABDUL SATTAR SILAWAT

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Dainik MAHKA RAJASTHAN

Sunday, May 24, 2015

गुर्जर आरक्षण आन्दोलन: वसुन्धरा सरकार के खिलाफ षडय़ंत्र?


बैंसला के हाथों से निकली आन्दोलन की कमान

अब्दुल सत्तार सिलावट                                                                                                          
गुर्जर आरक्षण के लिए 21 मई को बुलाई महापंचायत का अचानक उग्र आन्दोलन का रूप लेना, पटरियों पर गुर्जरों का धरना, रेल यातायात बाधित करना, गुर्जरों की समन्वय समिति से ओबीसी एवं अन्य जाति के लोगों के नाम काटना। इसके पीछे गुर्जरों को आरक्षण दिलवाने से अधिक राजस्थान की लोकप्रिय भाजपा सरकार की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे को हटाने के षडय़ंत्र की भूमिका नजर आ रही है। गुर्जरों के नये नेताओं को दिल्ली में बैठे वसुन्धरा राजे विरोधी नेताओं का सिर्फ संरक्षण ही नहीं मार्गदर्शन भी मिलता दिखाई दे रहा है। शांत महापंचायत को उग्र आन्दोलन में बदलकर, रेल पटरियों को उखाडऩा, बसों में तोडफ़ोड़, सरकारी अधिकारियों पर पथराव। यह सभी हथकंडे सरकार को आन्दोलनकारियों पर सख्ती करने, लाठीचार्ज या फिर गोलीकाण्ड के लिए उकसाने की ओर बढ़ते कदम हैं।
राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे देश-विदेश से राजस्थान में औद्योगिक निवेश के लिए दिन-रात अभियान चलाकर अक्टूबर 2015 में होने वाले रिसर्जेंट राजस्थान को सफल बनाकर नये कीर्तिमान स्थापित करना चाहती हैं जबकि वसुन्धरा राजे विरोधीयों को डर है कि रिसर्जेंट राजस्थान की सफलता के बाद पांच साल तक राजस्थान में वसुन्धरा सरकार को कोई नहीं हटा पायेगा। इसलिए गुर्जर आन्दोलन को दिल्ली में बैठे राजे विरोधी नेता उग्र गुर्जर नेताओं के हाथों में देकर राजस्थान की शांति को एक बार फिर 'बदनाम' करवाने के प्रयासों में लगे दिखाई दे रहे हैं।

गुर्जर आरक्षण की मांग पर रणनीति के लिए बुलाई महापंचायत कुछ घंटों में रेल पटरियों पर पहुंचकर उग्र आन्दोलन में परिवर्तित होने तथा गुर्जर आरक्षण के एकमात्र नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के रेल पटरियों से भी मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के प्रति 'नरम' बयानबाजी और आरक्षण के लिए सरकार द्वारा ठोस आश्वासन की मांग गुर्जरों के नये नेताओं को पसन्द नहीं आई तथा सरकारी प्रतिनिधियों से बात करने के लिए बनाई गुर्जर नेताओं की लिस्ट में बीस गुर्जर नेता थे जो अन्त में शनिवार को 26 तक पहुंच गये। गुर्जरों के नये नेताओं की पहली शर्त कर्नल किरोड़ी को सरकारी वार्ता में शामिल नहीं कर पटरियों पर ही बिठाये रखना तथा दूसरी शर्त सरकार से बात भी पटरीयों पर ही होगी। सरकार ने जयपुर की जिद्द छोड़कर पटरियों से बयाना आईटीआई तक गुर्जरों को आने के लिए राजी किया, लेकिन कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला को आन्दोलन में कूदे नये गुर्जर नेताओं की नियत पर शक हो गया कि इस आन्दोलन से मुझे दूर करना चाहते हैं। इसके बाद 26 लोगों की लिस्ट 6 पर आ पहुंची और सरकार से मिलने से पहले गुर्जर नेताओं की आपसी फूट रेल की पटरियों पर ही दिखाई दे गई।
सरकार से गुर्जर नेताओं की वार्ता फेल हुई या गुर्जरों के नये नेताओं द्वारा पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार फेल की गई इस बात को सिर्फ कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ही भलीभांती जानते हैं। कर्नल बैंसला को गुर्जर आन्दोलन की संवैधानिक स्थिती, सरकार की मजबूरी और गुर्जरों की महापंचायत से सरकार पर न्यायालय में अच्छी पैरवी का दबाव बनाने की योजना को नये नेता फेल करने में कामयाब होकर आन्दोलन को कर्नल बैंसला के हाथों से छीनने के प्रयास में सफल होते दिखाई दे रहे हैं।
गुर्जर आरक्षण आन्दोलन में 2008 से कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के साथ दिखाई देने वाले बहुत से चेहरे इस बार नहीं है बल्कि 2015 के आन्दोलन में सभी गुर्जर नेता नये और अधिक उग्र दिखाई दे रहे हैं। 2008 की टीम पर कर्नल बैंसला की एक तरफा पकड़ थी। सरकार को कैसे मजबूर करना, गुर्जरों को कम से कम नुकसान के साथ आरक्षण का लाभ कैसे दिलवाना। यह बात आज भी कर्नल किरोड़ीसिंह बैंसला में मौजूद है, लेकिन शनिवार को कर्नल बैंसला बयाना की सरकारी वार्ता में तथा रेल पटरियों पर अकेले-तन्हा एवं बेसहारा दिखाई दिये।

गहलोत आन्दोलन के खिलाफ
गुर्जर आरक्षण आन्दोलन में रेल पटरियों पर बैठे आन्दोलनकारियों को भड़काने की जगह विपक्षी पार्टी कांग्रेस के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बहुत ही प्रसंसनीय बयान देकर आन्दोलन खत्म करने की सलाह दी है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुर्जर आरक्षण आन्दोलन को गलत बताते हुए सरकार से गुर्जरों को समझाईश का सुझाव दिया है। गहलोत ने आरक्षण के मामले को न्यायालय में विचाराधीन होने से गुर्जरों को आन्दोलन नहीं करने, और सरकार को इस मामले को शिघ्र निपटाने के प्रयासों की सलाह भी दी है।

ओबीसी गुर्जरों के विरोध में...
ओबीसी एवं जाट नेता राजाराम मील ने गुर्जर आरक्षण आन्दोलन को कुछ नेताओं का निजी स्वार्थ बताते हुए ओबीसी के आरक्षण में से चार प्रतिशत गुर्जरों की मांग को गलत बताते हुए चेतावनी दी है कि राजस्थान की सभी ओबीसी जातियों, जाटों एवं मेघवालों द्वारा भी विरोध किया जायेगा।
जाट नेता मील ने कहा कि गुर्जर आरक्षण मामला न्यायालय के विचाराधीन है ऐसे में रेल पटरियों पर बैठकर न्यायालय के फैसले को अपने हित में करने का दबाव बनाना न्यायालय की अवमानना है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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