चौदह देशों का फिपिक सम्मेलन
गांव के वार्ड की आबादी वाले देशों के आवभगत में भारत के प्रधानमंत्री
अब्दुल सत्तार सिलावट
राजस्थान की राजधानी गुलाबी नगरी में पिछले एक माह से 14 देशों की अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की फिपिक समिट की तैयारी चल रही थी। जयपुर विकास प्राधिकरण, नगर निगम, पर्यटन विभाग के साथ सुरक्षा में तैनात एक सौ से अधिक आईपीएस, आरपीएस एवं दो हजार से अधिक जवान। 30 किलोमीटर एयरपोर्ट से होटलों तक सभी विभागों के सिविल इंजीनियर, इलेक्ट्रीक एक्सईएन के साथ सीनियर अधिकारी तैनात।
14 देशों के राष्ट्राध्यक्षों के ठहरने के लिए प्रदेश की सर्वाधिक सुविधायुक्त होटल रामबाग पैलेस, जयमहल पैलेस और राजपूताना शेरेटन में ठहरने और मेहमानों के खाने का प्रबन्ध। एयरपोर्ट से होटलों तक सरकार ने सड़क के रिफ्लेक्टर से लेकर ग्रीनरी एवं फुटपाथ का रंगरोगन एकदम नया कर दिया। एक रात में जयपुर शहर का छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा खड्डा भर दिया गया। शुक्रवार सुबह दिल्ली से मेहमान देशों के राष्ट्राध्यक्ष दो चार्टर प्लेन से सांगानेर के स्टेट हैंगर पर उतरे और उनका स्वागत हमारी मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने किया। राष्ट्राध्यक्षों की अगवानी, स्वागत, पधारो म्हारे देस के साथ स्वागत में रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन मेहमानों के लिए किया गया।
राष्ट्राध्यक्षों की सुरक्षा के लिए त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरा। सड़कों पर वर्दीधारी। होटल एवं समिट में कुछ वर्दीधारी बाकी सिविल में। जबरदस्त सुरक्षा। एक दिन पहले गुरुवार को एयरपोर्ट से होटलों तक मेहमानों को कैसे लायेंगे इसका पूर्वाभ्यास भी किया गया।
अब एक नजर चौदह देशों की भौगोलिक एवं सामाजिक स्थिती पर डालकर हमारी मेहमान नवाजी पर करोड़ों के खर्च एवं सरकार की दूर दृष्टी देख लेते हैं। चौदह देशों में एक देश 'निउव' की आबादी मात्र 1190 है इस देश की विशेषता फ्रि वाई फाई। जो भारत के लिए प्रेरणा देने वाला देश है! 1190 में से 50 व्यक्ति भारत में आज अपने देश के गवर्नर जनरल के साथ जयपुर घूम रहे हैं। दूसरा देश 'नौरु' इसका क्षेत्रफल 21 वर्ग किलोमीटर है। इस देश के राष्ट्रपति बारोन वाक्या के स्वागत में हमारे प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री, राजस्थान की मुख्यमंत्री 'पलक-पावड़े' बिछा रहे हैं! चौदह देशों में एक देश है 'टुवालु' क्षेत्रफल 26 वर्ग किलोमीटर देश की आय का साधन इन्टरनेट डोमियन नेम डॉट टीवी, वर्ष भर की आय 22 लाख डॉलर। एक देश है 'पालाउ' क्षेत्रफल 466.55 वर्ग किलोमीटर। इस देश के राष्ट्रपति टामनी रेमेंगगेशन ने सबसे पहले परमाणु हथियारों के स्टोर और इस्तेमाल के खिलाफ घोषणा की है इसलिए हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी इस देश से प्रभावित हो गये और सम्भवत: प्रेरणा भी ले सकते हैं। चौदह देशों में एक देश मार्शल आइलैण्ड क्षेत्रफल 181 वर्ग किलामीटर इनके साथ कुक आइलैण्ड क्षेत्रफल 240 वर्ग किलोमीटर। अब तीन देश टोंगा, माइक्रोनेशिया और किरिबाटी इन तीनों की समान आबादी एक लाख तीन हजार से पांच हजार तक की है।
चौदह देशों के विशाल समिट में मात्र दो देश फिजी (आबादी 8.58 लाख) और पोपिया न्यू जिनी (70.59 लाख) बड़े देश है जबकि बाकी बारह देशों की आबादी और क्षेत्रफल से दस गुना बड़ा क्षेत्रफल और आबादी अजमेर नगर निगम की है। जहाँ मेयर के चुनाव के लिए भाजपा के पार्षदों में दो धड़े बनकर एक बागी प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इसी प्रकार राजस्थान के कई नगर परिषदों एवं पालिकाओं में भी सत्ता दल भाजपा के पार्षदों में गुटबाजी के कारण चेयरमेन पद निर्दलीयों और कांग्रेस की झोली में जा रहे हैं, लेकिन भाजपा सरकार की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे इतने 'बड़े-बड़े' देशों के राष्ट्राध्यक्षों की अगवानी में व्यस्त हैं इसलिए भाजपा के अन्दरूनी झगड़े में हस्तक्षेप भी नहीं कर पा रही है। जबकि सच्चाई यह है कि अजमेर नगर निगम की बगावत में वसुन्धरा राजे हस्तक्षेप कर दें तो यह सीट बच सकती है, ऐसा ही राजस्थान की कई नगर परिषदों और पालिकाओं में भी भाजपा का बोर्ड बनाने के लिए मुख्यमंत्री स्वयं या इनके नाम से एक फोन की आवश्यकता है जो भाजपा के बागीयों या निर्दलीयों को भाजपा के बोर्ड बनाने में मदद दिलवा सकते हैं। खैर, मुख्यमंत्री चौदह देशों के राष्ट्राध्यक्षों की 'आव-भगत' में व्यस्त हैं। पालिका चुनाव तो आते-जाते रहते हैं। इतने बड़े-बड़े देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री गवर्नर जनरल की आव-भगत का मौका बार-बार थोड़े ही मिलता है!
हमारे प्रधानमंत्री नेरन्द्र मोदी के विदेश दौरों के बाद तथा हमारे देश की विदेश नीति के चाणक्यों की दूर दृष्टी और देश की अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति के बारे में हमारे बढ़ते कदमों की पहचान आज राजस्थान में हो रहे चौदह देशों की अन्तर्राष्ट्रीय समिट से ही लगा सकते हैं। इन देशों से हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आर्थिक समझौतों की फाइलों पर दस्तखत कर राष्ट्राध्यक्षों के साथ 'आदान-प्रदान' करते फोटो भी खिचवाऐंगे? क्या इन देशों में हमारे उद्योगपति निर्यात कर गिरते रूपये का स्तर सुधार लेंगे? फिपिक सम्मेलन में आये चौदह देश यदि भारत की पाकिस्तान या चीन से ईश्वर नहीं करे, कभी युद्ध हो जाये तो क्या यह देश अपनी सेना, इन देशों के लड़ाकू विमान या थल सेना और पनडुब्बीयां भेजकर हमारे देश की मदद करने की स्थिती में हैं? क्या भारत के स्पेस सेन्टर श्री हरिकोटा से इन देशों के रॉकेट छोड़कर भारत को आर्थिक लाभ हो सकता है या हम इन्हें अपने देश से आलू, प्याज, गेहूँ, काली मिर्च भेजकर विदेश व्यापार से मुद्रा को मजबूत कर सकेंगे?
चौदह देशों की फिपिक समिट की कवरेज कर रहे एक टीवी चैनल की न्यूज एंकर ने जयपुर में खड़े अपने रिपोर्टर से जब इस समिट का लाभ पूछा तब इन देशों के क्षेत्रफल और आबादी से अनभिज्ञ रिपोर्टर का जवाब आश्चर्य चकित करने वाला था। रिपोर्टर ने कहा 'प्रधानमंत्री मोदी की दूर दृष्टी और भाजपा की नई सरकार की विदेश नीति का परिणाम है यह विशाल अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन। शाम को विदेश व्यापार के बहुत से समझौते प्रधामंत्री मोदी की उपस्थिती में होंगे। रिपोर्टर आगे कहता है कि चौदह देशों के सम्मेलन से चीन जैसे देश का बढ़ता वर्चस्व इस क्षेत्र में खत्म हो जायेगा।' अब आप ही अंदाज लगाऐं कि हजार बारह सौ की आबादी और 21 वर्ग किलामीटर क्षेत्रफल वाले एक दर्जन देशों के लिए हमारे एक वार्ड की राशन की दुकान ही बहुत है। ऐसे देशों को हम क्या तो बेचेंगे और इनके साथ खड़े होने से चीन को क्या फर्क पड़ेगा?
यह लेख फिपिक सम्मेलन की आलोचना या इसकी उपयोगिता पर प्रश्न चिन्ह लगाने के लिए नहीं है, बल्कि भारत जैसे 130 करोड़ के देश के नये राजनेता सैकड़ों करोड़ रूपये और दो दिन तक केन्द्रीय एवं राजस्थान सरकार की पूरी मशीनरी को चौदह देशों के मेहमानों के आवभगत में 'पलक पावड़े' बिछाकर किस दिन की तैयारी कर रहे हैं। हमें इन देशों से किस चीज की उम्मीद रखनी चाहिए और हमारे राजनेताओं को इन देशों को गले लगाने के पीछे कौन सा छुपा रहस्य दिखाई दे रहा है? इस पर आप भी विचार करें।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)
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