Mahka Rajasthan Vimochan By CM Vasundhra Raje

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Rajasthan Chief Minister Vasundhra Raje Vimochan First Daily Edition of Dainik Mahka Rajasthan Chief Editor ABDUL SATTAR SILAWAT

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Dainik MAHKA RAJASTHAN

Thursday, March 12, 2015

राजस्थान में वन विभाग का जंगल राज: विधायक धानका


ए.एस. सिलावट
राजस्थान सरकार का वन विभाग एक ऐसा क्षेत्र है जहां महिला अधिकारों की धज्जीयां उड़ाने के अलावा कोई पुलिस सुरक्षा या कानून की बात नहीं कर सकता है। वन का मतलब जंगल है और जंगल में सिर्फ जंगल राज ही चलता है। इस जंगल राज को वन विभाग के रेंजर, वन पालक एवं छोटे मोटे अधिकारियों के साथ सत्ता में बैठे मंत्रियों तक का संरक्षण मिलता है। यह आरोप किसी विपक्षी या सड़क छाप नेता का नहीं है बल्कि विधानसभा में बस्सी विधायक श्रीमती अंजू देवी धानका ने लगाया है।
विधायक अंजू कहती हैं कि वन विभाग की बेशकीमती जमीनों पर समाज के सफेद नकाबपोश लोग, समाजसेवा का मुखौटा पहने, राजनेताओं के संरक्षण में अवैध निर्माण कर करोड़ों की भूमि पर अवैध कब्जा किये बैठे हैं जबकि गांवों में रहने वाले गरीब, मजदूर अनुसूचित, जनजाति परिवार की जवान लड़कियां और गृहणियां यदि चूल्हा चलाने की लकडिय़ां लाती हुई या भेड़ बकरी चराते हुए भी वन विभाग के रेंजरों-गार्डों के हाथों पकड़े जाये तो उनकी इज्जत सुरक्षित नहीं रहती है जबकि गरीबों की इज्जत से खिलवाड़ करने वालों की जानकारी राजस्थान विधानसभा के पटल पर विधायक द्वारा दिये जाने पर भी वन मंत्री सिर्फ आश्वासन और लीपा पोती की बयानबाजी कर शर्मनाक घटना को टाल देते हैं।
युवा, प्रतिभावान एवं ज्वलंत मुद्दों पर बेबाक टिप्पणी करते हुए अपने क्षेत्र की समस्याओं को सत्ता के गलियारों तक पहुंचाने वाली विधायक अंजू धानका ने विधानसभा में कहा कि बेटी बचाओ और महिला संरक्षण पर जनचेतना के विज्ञापनों तक ही सरकारी सतर्कता सीमित हो चुकी है जबकि गांवों में अनुसूचित और जनजाति की महिलाओं का शोषण आजादी से पहले की तरह ही होता जा रहा है। फर्क सिर्फ इतना है कि पहले अंग्रेजों के चहेते लोग शोषण करते थे और अब सत्ता में बैठे लोगों को 'मंथली' पहुंचाने वाले वन विभाग के अफसर शोषण करते हैं।
विधायक अंजू धानका को विश्वास है कि मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे प्रदेश में हावी अफसरशाही पर नियन्त्रण कर रही है, लेकिन शहरों एवं आमजन से दूर जंगल राज में अफसर अब भी गरीब ग्रामीणों पर जुल्म-शोषण करते हैं जबकि बड़े अधिकारी वन विभाग के ठेकेदारों, भू-माफियाओं और राजनेताओं के हाथों की कठपुतली बन सरकारी खजाने को करोड़ों का चूना लगवाते हैं। विधायक ने स्पष्ट किया कि वन विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से जंगलात से अवैध लकड़ी का काटना आम बात हो गयी है साथ ही पर्यटन की दृष्टी से महत्वपूर्ण मंदिरों के आसपास की पहाड़ी क्षेत्र की भूमि पर भी धार्मिक पर्यटकों के लिए धर्मशालाओं के नाम पर अवैध निर्माण की बंदरबांट में वन विभाग के बड़े अधिकारियों की सहभागिता को कोई रोकने वाला नहीं है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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