Mahka Rajasthan Vimochan By CM Vasundhra Raje

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Rajasthan Chief Minister Vasundhra Raje Vimochan First Daily Edition of Dainik Mahka Rajasthan Chief Editor ABDUL SATTAR SILAWAT

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Dainik MAHKA RAJASTHAN

Monday, March 30, 2015

गहलोत साहब, भाजपा को आप साम्प्रदायिक नहीं कह सकते...


ए.एस. सिलावट                                                                         
अब गहलोत साहब को कौन समझाये कि आपको तो कम से कम साम्प्रदायिकता जैसे शब्द पर नहीं बोलना चाहिये क्योंकि आपके पाँच साल के मुख्यमंत्री काल में गोपालगढ़ की मस्जिद में नमाज़ पढ़ते मुसलमानों को पुलिस ने गोलियों से भून डाला, सराड़ा (उदयपुर) में मुसलमानों को रात में नींद से उठाकर बसों में भरकर उदयपुर के मदरसों में भेजकर पीछे से उनकी पूरी बस्ती को पुलिस की मौजूदगी में आग के हवाले कर दिया गया था। ऐसे कई साम्प्रदायिक दंगों के उदाहरण हैं गुलाबपुरा, भीलवाड़ा, कृष्णगंज आदि और पूरे राज्य में पाँच साल तक मुसलमान स्वयं को असुरक्षित एवं ठगा-सा महसूस करता रहा। इन सबसे बढ़कर अशोक गहलोत साहब के गृह जिले जोधपुर के गांव बालेसर में मुसलमानों की ईदगाह को ट्रेक्टरों और बुलडोजर से तोड़ा गया। मुसलमानों के मकानों में रसोई गैस की टंकियों में आग लगाकर तबाह किया गया और यह सब काम भाजपा-शिवसेना या बजरंग दल ने नहीं बल्कि गहलोत साहब की जाति के माली समाज के कांग्रेसी लोगों ने ही किया था।
अशोक गहलोत साहब के मुंह से भाजपा साम्प्रदायिक है यह शब्द शोभा नहीं देता क्योंकि वसुन्धरा राजे के पिछले कार्यकाल (2003-2008) में एक भी साम्प्रदायिक दंगा नहीं हुआ और अब तक सवा साल में भले ही मुसलमानों को कुछ मिला नहीं है तो कम से कम कुछ छिना भी नहीं है और राजस्थान का मुसलमान वसुन्धरा सरकार में चैन की नींद सोता तो है।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष या वरिष्ठ नेताओं की चिन्ता भाजपा का भविष्य उज्जवल होने तक सीमित नहीं है। कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत साहब के इस बयान को भी सुन लीजिये। गहलोत साहब कहते हैं कि 'भाजपा सरकार को ग्रामीणों के विकास के खनिज सम्पदा के उपयोग और इनसे सम्बन्धित उद्योगों को गांवों में लगाने पर ध्यान देना चाहिये।' अब कोई अशोक जी से पूछे आप जब मुख्यमंत्री थे तब राजस्थान का खनिज भण्डार समुन्द्र में डूबा हुआ था क्या? आपने ग्रामीणों के विकास के लिए राजस्थान के विशाल भण्डार का उपयोग क्यों नहीं किया?
कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत भी चाहते हैं कि भाजपा की सरकार अच्छे काम करें ताकि अगली बार जनता फिर वसुन्धरा जी को जीतवाकर मुख्यमंत्री बना देवें। अशोक गहलोत भाजपा की सरकार स्थाई रहे इसके लिए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी का काम स्वयं कर रहे हैं। गहलोत साहब सिर्फ खनिज सम्पदा तक ही नहीं बोलते हैं बल्कि भाजपा को साम्प्रदायिक साबित करने के लिए सूर्य नमस्कार का विरोध करते हुए कहते हैं कि यही भाजपा का असली चेहरा है। जनता को भ्रमित कर सत्ता तक पहुँच जाते हैं और अब साम्प्रदायिकता फैला रहे हैं।
भाजपा की सरकार अगली बार विपक्ष की सीटों पर नहीं बैठ जाये। भाजपा  की नीतियों से ग्रामीण जनता नाराज होकर वसुन्धरा जी को अगले चुनाव में हरा देगी। यह सभी चिन्ताएं भाजपा के मंत्री, विधायक या पार्टी के नेता नहीं कर रहे हैं बल्कि राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष जब भी बोलने का अवसर मिलता है तब सत्ता पक्ष की ओर लम्बे लम्बे हाथ करके कहते हैं 'ऐसे ही जनता की अनदेखी करते रहे तो अगली बार हमारी सीटों पर विपक्ष में आप होंगे।' कभी कहते हैं कि 'वसुन्धरा सरकार को ब्यूरोके्रट चला रहे हैं इसलिए अगली बार भाजपा विपक्ष की कुर्सीयों पर दिखाई देगी।'
अब कांग्रेसी नेताओं से कोई यह पूछे कि अगली बार भी भाजपा की ही सरकार बननी चाहिये इसलिए आप विधानसभा में उन्हें उल्टे सीधे कामों पर रोकने के बजाय सुझाव देकर भाजपा की जनता में लोकप्रियता बढ़ाने के 'मिशन' में लगे हुए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रद्युमन सिंह विधानसभा में कहते हैं कि 'वसुन्धरा सरकार समय बर्बाद नहीं करे जनता का काम करे, पाँच साल में से सवा साल तो निकल गया बाकी समय भी कल खत्म हो जायेगा और जनता का काम नहीं करोगे तो जनता आपको भी हमारी तरह सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा देगी।'

राजस्थान दिवस: फिजुल खर्ची के बयान शुरु...
राजस्थान के 66वें स्थापना दिवस समारोह की सांस्कृतिक झांकियां जनपथ से रवाना होकर दूसरे छोर तक नहीं पहुँचेगी उससे पहले विपक्षी दलों के नेता वसुन्धरा सरकार पर फिजुल खर्ची का आरोप लगाना शुरु कर देंगे। राजस्थान दिवस पर विधानसभा भवन की रंग बिरंगी रोशनी और जनपथ से वन्दे मातरम् की गगनचुम्बी स्वर लहरों के बीच विपक्षी नेता ओलावृष्टी से बर्बाद फसलों और परेशान किसान को याद करते हुए सरकारी खर्च के दुरुपयोग के नाम पर घड़ीयाली आँसू बहाना शुरु कर देंगे।
हमारे विपक्षी पार्टीयों के नेता सरकारी खजाने से हजारों करोड़ की अपनी जमीन और प्रकृति का दिया तोहफा तेल भण्डार सिर्फ 'चवन्नी' मुनाफे पर कंपनियों को सौंप दें और नौ किलोमीटर के मैट्रो सफर के लिए अपने विभागों से कर्ज दिलवाकर उन्हें दिवालिया बना देवें तब फिजूलखर्ची दिखाई नहीं देती है जबकि आज के तनाव भरे जीवन में 100 मिनट तक राजस्थान दिवस के नाम पर जनपथ पर बैठकर राजस्थान की विभिन्न लोक कलाएं एक पथ पर आ जाये, जनता का मनोरंजन हो जाये, उनका मानसिक तनाव कम हो जाये, जनता में नई सोच, नई उमंग भर जाये ऐसे अच्छे अवसर भी विपक्षी नेताओं को फिजूलखर्ची वाले लगते हैं जबकि सच्चाई यह है कि राजस्थान दिवस की आलोचना करने वाले नेताओं के बच्चे, बीवीयां और पूरा परिवार 'वीवीआईपी' ब्लॉक में बैठकर राजस्थान दिवस के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनन्द लेते हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार, प्रधान सम्पादक- दैनिक महका राजस्थान एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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